
अंगारक दोष पूजा उज्जैन
ज्योतिषशास्त्र में अंगारक दोष (मंगल दोष) को अशुभ माना जाता है—यह तब बनता है जब कुंडली में मंगल ग्रह राहु या केतु के साथ या
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1. हम वर्षों से धार्मिक अनुष्ठानों और पूजाओं का चालन कर रहे हैं।
2. शास्त्रों के अनुसार विधिपूर्वक पूजा संपन्न करना हमारा उद्देश्य है।
3. अनुभवी पंडितों की टीम द्वारा आपका हर मांगलिक कार्य शुभ हो, यही हमारी कामना है।
आदरणीय पंडित सुरेश शर्मा जी उज्जैन के निवासी है जिनके द्वारा पिछले 25+ वर्षो से बाहर से आए लोगो की दोष मुक्ति हेतु पूजाए सम्पन्न कराई जा रही है। पंडित जी ने कालसर्प दोष, मंगल दोष, गुरु चांडाल दोष, पित्र दोष, नवग्रह दोष जेसी पूजाओ मे ख्याति अर्जित की है।
हजारो लोगो ने पंडित जी द्वारा पूजा करा के अच्छे परिणाम प्राप्त किए है। पंडित जी द्वारा कई बड़ी हस्तियो और विदेशी लोगो की पूजाए ऑनलाइन व ऑफलाइन भी सम्पन्न कराई जाती है। अभी Kaal Sarp Dosh Puja Ujjain मे बुक करने हेतु नीचे दी गयी बटन से कॉल करे।
जिस व्यक्ति की जन्मकुंडली मे मंगल दोष होता है, तो उस व्यक्ति के विवाह मे बहुत ज्यादा समस्या आती है।मांगलिक व्यक्ति को मंगलवार के दिन पुजा करना चाहिए।
कुम्भ विवाह पुजा मे वर या वधू की शादी पहले किसी घड़े से की जाती है, शादी के पश्चात उस घड़े को तोड़ दिया जाता है। ऐसा करने से मंगल दोष प्रभावहीन हो जाता है।
पूर्वजन्म के किसी श्राप या अपराध के दंड फलस्वरूप व्यक्ति की जन्म कुंडली मे काल सर्प योग दोष बनता है। इस कारण जातक का कोई भी काम सफल नहीं होता है।
अकाल मृत्यु के भय से बचने के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप बहुत ही लाभदायक माना जाता है। यह मंत्र भगवान शिव द्वारा ही निर्मित है ।
जब ब्रहस्पति और राहू मे कोई संबंध होता है तब चांडाल दोष बनता है। इस योग मे जातक अपने ही गुरु से ईर्ष्या करने लगता है।
आपके घर मे अगर रोज लड़ाई -झगड़े गृह क्लेश होते है तो हो सकता है, आपके घर मे वास्तु दोष हो। इसे दूर करने के लिए आपको वास्तु दोष पुजा करवानी चाहिए।
अगर आप भगवान शिव को प्रसन्न कर मनचाहा वरदान प्राप्त करना चाहते है तो आपको भगवान शिव के रुद्र अवतार की पूजा करनी चाहिए।
जन्म के समय नवग्रहों की जो स्थिति होती है उसका प्रभाव हमारे भाग्य और नियति पर भी पड़ता है। इन नवग्रहों के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए नवग्रह पुजा करवाना चाहिए।
ज्योतिषशास्त्र में अंगारक दोष (मंगल दोष) को अशुभ माना जाता है—यह तब बनता है जब कुंडली में मंगल ग्रह राहु या केतु के साथ या
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